बुझने की आश...

 अब सब कुछ अब्तर सा लगता है।

ना वो अश्क में बहता है।

ना वो खुशी में छलकता है।

अब आतिश सी लगी हुई है।

बुझने की आश सी है।

एक बूंद में भी राहत सी है।

मेघ के इंतजार में है।

अब सब कुछ अब्तर सा लगता है।

समिटने की आश सी है।

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