* Likhne ko bhi tabhi udhan milegi, jab_SHABDON ko PAHCHAN_milegi. *
अब सब कुछ अब्तर सा लगता है।
ना वो अश्क में बहता है।
ना वो खुशी में छलकता है।
अब आतिश सी लगी हुई है।
बुझने की आश सी है।
एक बूंद में भी राहत सी है।
मेघ के इंतजार में है।
समिटने की आश सी है।
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