वो कंधे जिन पर बैठकर सारा जहां देखा...

 वो कंधे जिन पर बैठकर सारा जहां देखा है

​पापा के सिवा किसी और को इतना ऊंचा कहां 

​वो कंधे जिन पर बैठकर सारा जहां देखा है 

वो कंधे जिन पर बैठकर सारा जहां देखा है

​पापा के सिवा किसी और को इतना ऊंचा कहां देखा है 

चलते थे कदम उनके और सैर  हमारी हो जाती थी 

कंधे पर ही उनके नींद सारी हो जाती थी

 उनकी आंखों में अपने ख्वाबों का आसमां देखा है 

 वो कंधे जिन पर बैठकर सारा  जहां देखा है

 

वो कंधे जिन पर बैठकर सारा जहां देखा है

​पापा के सिवा किसी और को इतना ऊंचा कहां देखा

मां के घर में होने से घर में जन्नत होती है और ,

पापा घर में  हों तो पूरी बच्चे की हर मन्नत होती है ,

थकान का नामों निशान उनके चेहरे पर कभी कहां देखा है ,


वो कंधे जिन पर बैठकर सारा जहां देखा है

​पापा के सिवा किसी और को इतना ऊंचा कहां देखा है।


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