नवरात्रि
नवरात्रि एक संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ है नौ रातें।
नवरात्रि को कई जगह दुर्गा पूजा के नाम से भी जाना जाता है।
यह हिन्दु धर्म के लोगों का एक खास त्यौहार है।
इसमें नौ दिन दुर्गा माता के नौ अलग अलग रूपों की पूजा की जाती है।
यह त्योहार दस दिनों और नौ रातों का होता है। इसीलिए इसे नवरात्रि कहा जाता है।
नौ रूपों के नाम
1} शैलपुत्री 2} ब्रह्मचारिणी 3} चंद्रघंटा
4} कूष्मांडा 5} स्कंदमाता 6} कात्यायनी
7} कालरात्रि 8} महागौरी 9} सिद्धिदात्री
इतिहास
पौराणिक ग्रंथों के अनुसार यह त्योहार कि कहानी दुर्गा माता और राछस महिषासुर के युद्घ कि दास्तान बयां करती है।
महिषासुर को ब्रह्मा जी के द्वारा अमर होने का वरदान प्राप्त था और उसका वध सिर्फ कोई देवी ही कर सकती थी।
ब्रह्मा जी से वरदान प्राप्त करने के बाद महिषासुर ने तीनों लोकों में आक्रमण कर दिया और सभी देवता मिलकर भी उसे पराजित नहीं कर पा रहे थे तब सभी देवताओं ने मिलकर एक युक्ति बनाई और तब सबने मिलकर अपनी शक्तियों से दुर्गा माता को अवतरित किया और फिर दुर्गा माता ने महिषासुर का वध किया और बुराई पर अच्छाई की जीत हुई।
त्योहार मनाने के तरीके
यह त्यौहार भारत देश में हिंदू धर्म के लोगों के द्वारा मनाया जाता है यह त्यौहार भारत के विभिन्न हिस्सों में विभिन्न तरीकों से मनाया जाता है।
हिंदू धर्म के लोग इस त्यौहार को बड़े उत्साह उमंग और खुशी के साथ अपने दोस्तों अपने रिश्तेदारों और परिवार के साथ मनाते हैं।
भारत के कई हिस्सों में इन इन दिनों पंडाल लगाए जाते हैं और दुर्गा माता की मूर्तियों की स्थापना की जाती है व नो दिन सुबह शाम दुर्गा माता की पूजा अर्चना की जाती है।
पूजा अर्चना के बाद प्रसाद वितरण किया जाता है।
गुजरात में इसे बड़े पैमाने पर मनाया जाता है और डांडिया और गरबा खेला जाता है और अब यह प्रचलन भारत के अन्य हिस्सों में भी प्रचलित है।
पश्चिम बंगाल के राज्यों में बंगालियों के मुख्य त्योहारों में दुर्गा पूजा का खास स्थान है।
नवरात्रि में देवी के शक्तिपीठों में और सिद्ध पीठों में भारी मेले आयोजित किए जाते हैं जहां पर भारी मात्रा में श्रद्धालुओं की भीड़ होती है।
नवरात्रि दुर्गा पूजा के के नाम से भी जानी जाती है और यह बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक माना जाता है।
नवरात्रि में कई जगह रामलीला का आयोजन किया जाता है रामलीला में रामायण की कहानी को दर्शाया जाता है यह कार्यक्रम लगातार 10 दिनों तक चलता है नौवें दिन को रामनवमी के नाम से जाना जाता है रामनवमी के दिन भारत के कई हिस्सों में कन्या भोज का आयोजन किया जाता है और कन्याओं को उपहार भेंट किए जाते हैं साथ ही साथ इस दिन भंडारे का आयोजन भी किया जाता है।
दसवे दिन माता का विसर्जन बड़े धूमधाम से ढोल-नगाड़ों के साथ किया जाता है। और दसवें दिन रामलीला समाप्त होती है और उस दिन रावण के पुतले का राम जी के द्वारा वध किया जाता है और इस प्रथा में रामलीला में राम का किरदार निभा रहे कलाकार के द्वारा रावण के पुतले को आग लगाकर जलाया जाता है जिससे रावण दहन के नाम से जाना जाता है और यह भी अच्छाई की बुराई पर विजय का प्रतीक होता है इसे दशहरा पर्व के नाम से जाना जाता है।
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